krishna bhajan lyrics in hindi

अच्युतं केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकीवल्लभम्। कान्त मुकुंदं श्रीगोविंदम सर्वलोकैकनाथं॥ विष्णुर्वासुदेवं भगवदीति रं, गोविंदं परमानंदमाधवं। संतं योगीं प्रज्ञानं वितरामि, भजामि सदा वृषभानुजाम्भम्॥ आचार्यं मां विजानीयान्नवमन्येति कर्मणि। विपरीतानि चेष्टामि श्रद्धां भजति तं मां भजामि॥ अन्यच्चाहं भजामि न तव वशे किं कामये मय्यैव सर्वं निवेशयन्ति। संतः सदा भजन्ति तं कीर्तयन्ति तं स्मरन्ति तं भजन्ति दृढव्रताः॥. ABOUT THIS SONG "अच्युतं केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकीवल्लभम्। कान्त मुकुंदं श्रीगोविंदम सर्वलोकैकनाथं॥" यह भजन भगवान कृष्ण की महिमा और उनकी परम प्रेम की भावना को व्यक्त करता है। यह भजन उनके विभिन्न नामों को स्तुति देता है, जैसे कि अच्युत, केशव, दामोदर, राम, नारायण, मुकुंद, गोविंद, इत्यादि। इन नामों का प्रयोग भगवान के विभिन्न गुणों, लीलाओं और विशेषताओं का संकेत करता है। "विष्णुर्वासुदेवं भगवदीति रं, गोविंदं परमानंदमाधवं। संतं योगीं प्रज्ञानं वितरामि, भजामि सदा वृषभानुजाम्भम्॥" इस भाग में, भगवान कृष्ण के अन्य नामों के साथ-साथ उनके गुणों की महत्ता को भी बताया गया है। भगवान के यहाँ विशेष गुण जैसे कि परमानंद और प्रज्ञान की चर्चा की गई है। "आचार्यं मां विजानीयान्नवमन्येति कर्मणि। विपरीतानि चेष्टामि श्रद्धां भजति तं मां भजामि॥" इस भाग में, भगवान की अपार शक्ति और उनके भक्तों के प्रति प्रेम का वर्णन किया गया है। यह भावना भगवान के भक्तों को उनकी श्रद्धा और प्रेम के साथ उनकी पूजा करने की प्रेरणा देती है। "अन्यच्चाहं भजामि न तव वशे किं कामये मय्यैव सर्वं निवेशयन्ति। संतः सदा भजन्ति तं कीर्तयन्ति तं स्मरन्ति तं भजन्ति दृढव्रताः॥" इस अंतिम भाग में, भगवान के भक्तों की अद्वितीय भक्ति और पूजा की महत्वपूर्णता को बताया गया है। यह भजन भक्ति और समर्पण की भावना को महत्वपूर्ण रूप से व्यक्त करता है और भगवान के प्रति प्रेम और विश्वास की महत्वपूर्णता को संकेत करता है।

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